Sunday, April 25, 2010

एक सुझाव आतंकवाद के खिलाफ

ist.xml">

,d lq>ko vkradokn ds f[kykQ

nqfu;k dh lcls cM+h leL;k vkradokn dh gS] lHkh ns’k vkSj ljdkjsa bl leL;k ls nq[kh gSA vkradoknh txg txg ce yxkdj ljdkj ij ncko M+kydj euethZ dk;Z djokrs gSA bl leL;k ls futkr ikus ds fy, esjs ikl ,d lq>ko gS irk ugha ;s fdruk dkjxj fl) gksxk] ij eq>s ;g lq>ko ,dne lgh bykt yxrk gSA

eS ;g pkgrk gWw fd ce Vªsdj dk ,d ,slk NksVk ikVZ cuk;k tk, tks fd dsoy 10&20 QhV djhc rd ce dks Vªsd dj lds vkSj mls eksckby tSls mi;ksxh oLrq ds lkFk tksM+k tk, tks fd gj O;fDr ds ikl gksrk gSA rkfd ce ds ikl ls xqtjus okys O;fDr dks mlesa yxs lk;ju ls irk yx tk, dh ;gkW ce gks ldrk gS] esjs [;ky ls vkradoknh tc rd ce yxkdj vius LFkku rd Hkh ugha igWwpsaxsa] rc rd iqfyl nLrs }kjk ce dks [kRe Hkh dj fn;k tk,xkA eryc nqfu;k iwjh dh leL;k dk gy fudy ldrk gSA

Wednesday, February 24, 2010

धोनी को करोड़ों प्रसंसको ने कोसा होगा.

आख़िरकार सचिन ने अपना हक़ पा ही लिया, जिस रिकॉर्ड को सचिन के ही नाम होना चाहिए था उसे सचिन ने पा ही लिया।
परन्तु जिस समय सचिन के १९५ रन बन चुके थे तब सभी की साँसे तेज हो गयी थी, पर धोनी सचिन को मोका ही नहीं दे रहे थे लगातार चार ओवर तक सचिन सामने की क्रीज़ पर ही थे और धोनी अपनी कप्तानी पारी खेलने में लगे थे। उस समय लाखो क्रिकेट प्रेमियों ने धोनी को जरूर कोसा होगा।
आखिरकार लास्ट ओवर की तीसरी बोल सचिन को मिल ही गयी, और आख़िरकार क्रिकेट के भगवान सचिन के रेकॉर्डों में जिस रिकॉर्ड की कमी थी वो उन्हें मिल ही गया। अब सभी क्रिकेट प्रेमियों को सचिन के शतको की फिफ्टी का इंतज़ार हैं।
कप्तान धोनी ने भी शानदार पारी खेल कर इस मैच को यादगार मैच बना दिया। लेकिन उन चार ओवर में धोनी को पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों ने कोसा होगा।
सचिन को इस यादगार पारी दिखने के लिए धन्यवाद हैं। और आशा हैं की वे सभी भारतियों की आशों पर खरा उतरेंगे और कम से कम पचहतर संचुरी बनाएगे।

Friday, February 19, 2010

क्या ठाकरे पागल हैं ... या भारत के लोग ....
ऑस्ट्रेलिया में भारत के लोगो के साथ हो रहे अत्याचार पर ठाकरे का कहना हैं की वे भारत में ऑस्ट्रेलिया के लोगो को खेलने नहीं देंगे सही बात है किसी ना किसी को तो पहल करनी ही चाहिए लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता की फिर वे खुद उत्तर भारतीयों के साथ महारास्त्र में क्या करते हैं , जैसे उत्तर भारतीय काम के लिए मुंबई में जाते हैं वैसे ही भारतीय लोग भी ऑस्ट्रेलिया में काम की तलाश में ही जा रहे हैं, यदि भारतीय अपने ही देश में आप जैसे लोगो के कारन आ जा नहीं सकते तो फिर आप किस आधार पर किसी और देश के लोगो को सलाह दे सकते हो की वे भारतीयों के साथ सही व्यव्हार करे,

ऑस्ट्रेलिया के मामले पर भारतियों के साथ हो रहा अत्याचार हैं और जो खुद करे वो हक़ ये कहा का इन्साफ हैं, ऑस्ट्रेलिया के मुद्दे पर पूरा भारत एक हो कर सभी पार्टिया एक हो कर एक ही सुर में बोलती हैं जैसे ही मुंबई की बात आती हैं सभी लोग चुपी साध लेते हैं, क्या भारत के लोगो में समझ की कमी आ गयी हैं, जो देश में छुपे गद्दार को पहचान नहीं पा रही, या फिर से किसी गाँधी को भारत को बचाने के लिए आना होगा फिर से किसी सुभाष को नयी फोज़ तैयार करनी होगी इन जैसे देश में छुपे अंग्रेजो से बचने के लिए, जो अपनी सत्ता के लिए देश वासियों को आपस में लड़ने का काम करते हैं।