क्या ठाकरे पागल हैं ... या भारत के लोग ....
ऑस्ट्रेलिया में भारत के लोगो के साथ हो रहे अत्याचार पर ठाकरे का कहना हैं की वे भारत में ऑस्ट्रेलिया के लोगो को खेलने नहीं देंगे सही बात है किसी ना किसी को तो पहल करनी ही चाहिए लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता की फिर वे खुद उत्तर भारतीयों के साथ महारास्त्र में क्या करते हैं , जैसे उत्तर भारतीय काम के लिए मुंबई में जाते हैं वैसे ही भारतीय लोग भी ऑस्ट्रेलिया में काम की तलाश में ही जा रहे हैं, यदि भारतीय अपने ही देश में आप जैसे लोगो के कारन आ जा नहीं सकते तो फिर आप किस आधार पर किसी और देश के लोगो को सलाह दे सकते हो की वे भारतीयों के साथ सही व्यव्हार करे,
ऑस्ट्रेलिया के मामले पर भारतियों के साथ हो रहा अत्याचार हैं और जो खुद करे वो हक़ ये कहा का इन्साफ हैं, ऑस्ट्रेलिया के मुद्दे पर पूरा भारत एक हो कर सभी पार्टिया एक हो कर एक ही सुर में बोलती हैं जैसे ही मुंबई की बात आती हैं सभी लोग चुपी साध लेते हैं, क्या भारत के लोगो में समझ की कमी आ गयी हैं, जो देश में छुपे गद्दार को पहचान नहीं पा रही, या फिर से किसी गाँधी को भारत को बचाने के लिए आना होगा फिर से किसी सुभाष को नयी फोज़ तैयार करनी होगी इन जैसे देश में छुपे अंग्रेजो से बचने के लिए, जो अपनी सत्ता के लिए देश वासियों को आपस में लड़ने का काम करते हैं।
Friday, February 19, 2010
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mai aapki baton se puri tarah sahamat hu.
ReplyDeleteaapne ekdam sachi bat samne rakhi hai. aise logo ke vajah se hi hamlog aajadi ke itne din bad bhi developing country me aate hai. ye kvi hindutwa ka rag alapenge to kvi khud ko maharastra ke widhata batate hai. aur jb mumbai pr jab koi aatanki wardat hoti hai to chhup kr gharon me baith jate hai.
bilkul sahi kaha.
ReplyDeleteShat pratishat sahmat hun!
ReplyDeleteकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
ReplyDeleteधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
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